फिर चंद दिनों से वो हर शब ख़्वाबों में हमारे आते हैं

फिर चंद दिनों से वो हर शब ख़्वाबों में हमारे आते हैं

फिर राह-गुज़ार-ए-दिल पर कुछ क़दमों के निशाँ हम पाते हैं

कुछ रात गए कुछ रात रहे हम अक्सर अश्क बहाते हैं

क्या जाने आग लगाते हैं या दिल की आग बुझाते हैं

ऐ दिल ऐ ख़ुशियों के मदफ़न ऐ मेरे ग़मों के ताज-महल

ले ख़ुश हो तेरी ज़ियारत को एहसास के मारे आते हैं

इस दर्जा हुए हम दुनिया से बेज़ार कि ज़िक्र-ए-ग़ैर तो क्या

अब ख़ुद से गुरेज़ाँ हैं और अपने साए से घबराते हैं

मानूस हैं ग़म से कुछ ऐसे गर नींद में भी हम ने 'अरशद'

अपने को हँसते देख लिया तो देखते ही डर जाते हैं

(756) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Phir Chand Dinon Se Wo Har Shab KHwabon Mein Hamare Aate Hain In Hindi By Famous Poet Arshad Kakvi. Phir Chand Dinon Se Wo Har Shab KHwabon Mein Hamare Aate Hain is written by Arshad Kakvi. Complete Poem Phir Chand Dinon Se Wo Har Shab KHwabon Mein Hamare Aate Hain in Hindi by Arshad Kakvi. Download free Phir Chand Dinon Se Wo Har Shab KHwabon Mein Hamare Aate Hain Poem for Youth in PDF. Phir Chand Dinon Se Wo Har Shab KHwabon Mein Hamare Aate Hain is a Poem on Inspiration for young students. Share Phir Chand Dinon Se Wo Har Shab KHwabon Mein Hamare Aate Hain with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.