Hope Poetry of Arshad Jamal 'Sarim'
नाम | अरशद जमाल 'सारिम' |
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अंग्रेज़ी नाम | Arshad Jamal 'Sarim' |
किस की तनवीर से जल उठ्ठे बसीरत के चराग़
प्यास हर ज़र्रा-ए-सहरा की बुझाई गई है
पलट कर देखने का मुझ में यारा ही नहीं था
नित-नए नक़्श से बातिन को सजाता हुआ मैं
कहाँ कहाँ से सुनाऊँ तुम्हें फ़साना-ए-शब
जुड़े हुए हैं परी-ख़ाने मेरे काग़ज़ से
इज़्तिराब ऐसा हुआ दिल का सहारा मुझ को
बस कि इक लम्स की उम्मीद पे वारे हुए हैं