Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_5c9b7c55fc33ff7c8a79fa402f7abe00, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
बे-अमाँ हूँ इन दिनों मैं दर-ब-दर फिरता हूँ मैं - अरशद जमाल 'सारिम' कविता - Darsaal

बे-अमाँ हूँ इन दिनों मैं दर-ब-दर फिरता हूँ मैं

बे-अमाँ हूँ इन दिनों मैं दर-ब-दर फिरता हूँ मैं

मैं मवद्दत हूँ वफ़ा हूँ ख़ैर का जज़्बा हूँ मैं

दिल की मौजों में बपा कर के तलातुम-ख़ेज़याँ

अपने अंदर की ज़मीनें काटता रहता हूँ मैं

खेल है सरकश हवाओं के लिए मेरा वजूद

कम-तनाबी जिस की क़िस्मत है वो इक ख़ेमा हूँ मैं

है मुकम्मल वक़्त के सूरज पे मेरा इंहिसार

ज़िंदगी के पाँव से लिपटा हुआ साया हूँ मैं

ऐसी ही बे-चेहरगी छाई हुई है शहर में

आप-अपना अक्स हूँ मैं आप आईना हूँ मैं

कब मिलेगी मुझ को 'सारिम' इस अज़िय्यत से नजात

ज़ेहन-ओ-दिल की कश्मकश में रात दिन उलझा हूँ मैं

(792) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Be-aman Hun In Dinon Main Dar-ba-dar Phirta Hun Main In Hindi By Famous Poet Arshad Jamal 'Sarim'. Be-aman Hun In Dinon Main Dar-ba-dar Phirta Hun Main is written by Arshad Jamal 'Sarim'. Complete Poem Be-aman Hun In Dinon Main Dar-ba-dar Phirta Hun Main in Hindi by Arshad Jamal 'Sarim'. Download free Be-aman Hun In Dinon Main Dar-ba-dar Phirta Hun Main Poem for Youth in PDF. Be-aman Hun In Dinon Main Dar-ba-dar Phirta Hun Main is a Poem on Inspiration for young students. Share Be-aman Hun In Dinon Main Dar-ba-dar Phirta Hun Main with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.