सपेदी रंग-ए-जहाँ में नहीं मिलाता हूँ

सपेदी रंग-ए-जहाँ में नहीं मिलाता हूँ

हक़ीक़तों को गुमाँ में नहीं मिलाता हूँ

सरिश्क-ए-ग़म रग-ए-जाँ में नहीं मिलाता हूँ

मैं ज़हर आब-ए-रवाँ में नहीं मिलाता हूँ

जो कह दिया कि तिरा हूँ तो सिर्फ़ तेरा हूँ

मैं झूट अपने बयाँ में नहीं मिलाता हूँ

तमाम-शहर तिरी हाँ में हाँ मिलाता है

अकेला मैं तिरी हाँ में नहीं मिलाता हूँ

तुम्हारा ग़म ग़म-ए-दुनिया से दूर रक्खा है

कभी मैं सूद ज़ियाँ में नहीं मिलाता हूँ

गुज़र गया जो तिरी याद के बग़ैर कभी

वो पल मैं उम्र-ए-रवाँ में नहीं मिलाता हूँ

सँवारता हूँ उसे रात जाग कर 'अरशद'

मैं ख़्वाब ख़्वाब-ए-गिराँ में नहीं मिलाता हूँ

(864) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Sapedi Rang-e-jahan Mein Nahin Milata Hun In Hindi By Famous Poet Arshad Jamal Hashmi. Sapedi Rang-e-jahan Mein Nahin Milata Hun is written by Arshad Jamal Hashmi. Complete Poem Sapedi Rang-e-jahan Mein Nahin Milata Hun in Hindi by Arshad Jamal Hashmi. Download free Sapedi Rang-e-jahan Mein Nahin Milata Hun Poem for Youth in PDF. Sapedi Rang-e-jahan Mein Nahin Milata Hun is a Poem on Inspiration for young students. Share Sapedi Rang-e-jahan Mein Nahin Milata Hun with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.