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Arshad Ali Khan Qalaq Hope In Hindi - Best Hope Of Arshad Ali Khan Qalaq Poetry Collection In Hindi - Darsaal

Hope Poetry of Arshad Ali Khan Qalaq

Hope Poetry of Arshad Ali Khan Qalaq
नामअरशद अली ख़ान क़लक़
अंग्रेज़ी नामArshad Ali Khan Qalaq

उन वाइ'ज़ों की ज़िद से हम अब की बहार में

सिंदूर उस की माँग में देता है यूँ बहार

हुआ मैं रिंद-मशरब ख़ाक मर कर इस तमन्ना में

बना कर तिल रुख़-ए-रौशन पर दो शोख़ी से से कहते हैं

बहार आते ही ज़ख़्म-ए-दिल हरे सब हो गए मेरे

ऐ बे-ख़ुदी-ए-दिल मुझे ये भी ख़बर नहीं

आलम-ए-पीरी में क्या मू-ए-सियह का ए'तिबार

ये जी में आता है जल जल के हर ज़माँ नासेह

यगाना उन का बेगाना है बेगाना यगाना है

वाइज़ की ज़िद से रिंदों ने रस्म-ए-जदीद की

वा'दा-ख़िलाफ़ कितने हैं ऐ रश्क-ए-माह आप

था क़स्द-ए-क़त्ल-ए-ग़ैर मगर मैं तलब हुआ

तासीर जज़्ब मस्तों की हर हर ग़ज़ल में है

सितम वो तुम ने किए भूले हम गिला दिल का

शरफ़ इंसान को कब ज़िल्ल-ए-हुमा देता है

साफ़ बातों से हो गया मा'लूम

रोज़-ए-अव्वल से असीर ऐ दिल-ए-नाशाद हैं हम

रग-ओ-पै में भरा है मेरे शोर उस की मोहब्बत का

परतव-ए-रुख़ का तिरे दिल में गुज़र रहता है

परतव पड़ा जो आरिज़-ए-गुलगून-ए-यार का

नहीं चमके ये हँसने में तुम्हारे दाँत अंजुम से

मिलता है क़ैद-ए-ग़म में भी लुत्फ़-ए-फ़ज़ा-ए-बाग़

लुत्फ़-ए-बहार मुश्फ़िक़-ए-मन देखते चलो

जुनूँ बरसाए पत्थर आसमाँ ने मज़रा-ए-जाँ पर

जो साक़िया तू ने पी के हम को दिया है जाम-ए-शराब आधा

इश्क़ में तेरे जान-ए-ज़ार हैफ़ है मुफ़्त में चली

हम ने एहसान असीरी का न बर्बाद किया

हम तो हों दिल से दूर रहें पास और लोग

गर दिल में कर के सैर-ए-दिल-ए-दाग़-दार देख

डोरा नहीं है सुरमे का चश्म-ए-सियाह में

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