ख़ुश-क़दों से कभी आलम न रहेगा ख़ाली
इस चमन से जो गया सर्व तो शमशाद आया
Faiz Ahmad Faiz
Habib Jalib
Rahat Indori
Anwar Masood
Allama Iqbal
Wasi Shah
Mohsin Naqvi
Ahmad Faraz
Jaun Eliya
Parveen Shakir
Mir Taqi Mir
Gulzar
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(735) Peoples Rate This
अदा से देख लो जाता रहे गिला दिल का
साफ़ बातों से हो गया मा'लूम
लाग़र ऐसा वहशत-ए-इश्क़-ए-लब-ए-शीरीं में हूँ
दस्त-ए-जुनूँ ने फाड़ के फेंका इधर-उधर
बोलेगा कौन आशिक़-ए-नादार की तरफ़
मय जो दी ग़ैर को साक़ी ने कराहत देखो
आएँगे वो तो आप में हरगिज़ न आएँगे
कुफ्र-ओ-इस्लाम के झगड़ों से छुड़ाया सद-शुक्र
बुत-परस्ती में भी भूली न मुझे याद-ए-ख़ुदा
कुछ ख़बर देता नहीं उस की दिल-ए-आगह मुझे
रग-ओ-पै में भरा है मेरे शोर उस की मोहब्बत का
हम उन से और वो हम से दम-ए-सुल्ह थे ख़जिल