बना कर तिल रुख़-ए-रौशन पर दो शोख़ी से से कहते हैं
बना कर तिल रुख़-ए-रौशन पर दो शोख़ी से से कहते हैं
ये काजल हम ने यारा है चराग़-ए-माह-ए-ताबाँ पर
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ये काजल हम ने यारा है चराग़-ए-माह-ए-ताबाँ पर
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