ये बोले जो उन को कहा बे-मुरव्वत

ये बोले जो उन को कहा बे-मुरव्वत

मैं क्या तुम से भी हूँ सिवा बे-मुरव्वत

लक़ब मेरे क़ातिल के क्या पूछते हो

सितमगार ना-आश्ना बे-मुरव्वत

उन आईना-रूयों में है वो सितमगर

बड़ा ख़ुद-ग़रज़ ख़ुद-नुमा बे-मुरव्वत

तू वो कज-अदा है जो दुनिया में ढूँढें

न तुझ सा मिले दूसरा बे-मुरव्वत

नहीं उस में रहम-ओ-हया कुछ वो क़ातिल

बड़ा संग-दिल है बड़ा बे-मुरव्वत

तिरी चश्म-पोशी से आँखों में दम है

इधर देख ओ बेवफ़ा बे-मुरव्वत

सिवा तेरे सारे हसीनों को देखा

ख़ुनुक बे-नमक बे-मज़ा बे-मुरव्वत

गिला जौर का सुन के बोले तुम्हें क्या

मैं अहल-ए-मुरव्वत हूँ या बे-मुरव्वत

जफ़ाओं का उस से गिला कीजिए जब

तू कहता है वो बेवफ़ा बे-मुरव्वत

चलो ढूँढ लो बा-वफ़ा और कोई

अगर मैं हूँ ना-आश्ना बे-मुरव्वत

'क़लक़' उठ गई रस्म-ए-उल्फ़त जहाँ से

हसीं सब हैं दुनिया के क्या बे-मुरव्वत

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