सितम वो तुम ने किए भूले हम गिला दिल का
सितम वो तुम ने किए भूले हम गिला दिल का
हुआ तुम्हारे बिगड़ने से फ़ैसला दिल का
बहार आते ही कुंज-ए-क़फ़स नसीब हुआ
हज़ार हैफ़ कि निकला न हौसला दिल का
चला है छोड़ के तन्हा किधर तसव्वुर-ए-यार
शब-ए-फ़िराक़ में तुझ से था मश्ग़ला दिल का
वो रिंद हूँ कि मुझे हतकड़ी से बैअत है
मिला है गेसू-ए-जानाँ से सिलसिला दिल का
वो ज़ुल्म करते हैं हम पर तो लोग कहते हैं
ख़ुदा बुरे से न डाले मुआमला दिल का
हज़ार फ़स्ल-ए-गुल आए जुनूँ! वो जोश कहाँ
गया शबाब के हम-राह वलवला दिल का
ख़ुदा के हाथ है अब अपना ऐ 'क़लक़' इंसाफ़
बुतों से हश्र में होगा मुआमला दिल का
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