आएँगे वो तो आप में हरगिज़ न आएँगे

आएँगे वो तो आप में हरगिज़ न आएँगे

हम अपनी बे-ख़ुदी के तमाशे दिखाएँगे

हम नक़्द-ए-दिल जो सीने में अपने न पाएँगे

दुज़्द-ए-निगाह-ए-यार को चोरी लगाएँगे

ऐ बे-ख़ुदी जो आप में हम अब की आएँगे

फिर दिल-लगी से भी नहीं दिल को लगाएँगे

जब सू-ए-दश्त आप के दीवाने जाएँगे

फ़रहाद-ओ-क़ैस दूर तलक लेने आएँगे

परवाना वो कहेंगे तो हम उन को शो'ला-रू

हम भी जलाएँगे जो वो हम को जलाएँगे

क्यूँ दाबते हैं होंठ वो दाँतों में बार बार

क्या तेग़-ए-लब को आब-ए-गुहर में बुझाएँगे

दाम-ए-बला से देखिए क्यूँकर नजात हो

कब तक वो हम को ज़ुल्फ़ की गलियाँ झकाएँगे

वहशी-ए-चश्म-ए-यार जो निकलेगा शहर से

आँखों को ढेले आहू-ए-सहरा लगाएँगे

हूरों से चल के दाद-ए-जमाल उस की लेंगे हम

तस्वीर-ए-यार क़स्र-ए-जिनाँ में लगाएँगे

उट्ठेंगे फिर न बैठ के मानिंद-ए-नक़्श-ए-पा

हम अपने ज़ोफ़ की तुम्हें ताक़त दिखाएँगे

जागे हुए फ़िराक़ के सोते हैं ज़ेर-ए-ख़ाक

बद-ख़्वाब हों के हम जो फ़रिश्ते जगाएँगे

लेने में जिंस-ए-दिल के तो उजलत कमाल है

देने में नक़्द-ए-वस्ल के बरसों झकाएँगे

गर्म-ए-ख़िराम होंगे अगर सेहन-ए-बाग़ में

अँगारों पर वो कब्क-ए-चमन को लुटाएँगे

सीना-सिपर हैं आशिक़-ए-जाँ-बाज़ सैकड़ों

तेग़-ए-निगाह-ए-नाज़ वो कब आज़माएँगे

अब की तो हिज्र-ए-यार में हम गोर झाँक आए

जीते हैं तो किसी से न फिर दिल लगाएँगे

ऐ शहसवार-ए-नाज़ ये मिटता है बार बार

तेरे समंद-ए-हुस्न को हम ख़ुद बनाएँगे

हम क्यूँ इताअ'त इन की करें फ़ाएदा 'क़लक़'

क्या ये बुतान-ए-दहर ख़ुदा से मिलाएँगे

(875) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Aaenge Wo To Aap Mein Hargiz Na Aaenge In Hindi By Famous Poet Arshad Ali Khan Qalaq. Aaenge Wo To Aap Mein Hargiz Na Aaenge is written by Arshad Ali Khan Qalaq. Complete Poem Aaenge Wo To Aap Mein Hargiz Na Aaenge in Hindi by Arshad Ali Khan Qalaq. Download free Aaenge Wo To Aap Mein Hargiz Na Aaenge Poem for Youth in PDF. Aaenge Wo To Aap Mein Hargiz Na Aaenge is a Poem on Inspiration for young students. Share Aaenge Wo To Aap Mein Hargiz Na Aaenge with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.