Khawab Poetry of Arshad Ali Khan Qalaq
नाम | अरशद अली ख़ान क़लक़ |
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अंग्रेज़ी नाम | Arshad Ali Khan Qalaq |
फिर गया आँखों में उस कान के मोती का ख़याल
चला है छोड़ के तन्हा किधर तसव्वुर-ए-यार
ये बारीक उन की कमर हो गई
यार के नर्गिस-ए-बीमार का बीमार रहा
सितम वो तुम ने किए भूले हम गिला दिल का
रग-ओ-पै में भरा है मेरे शोर उस की मोहब्बत का
लूटे मज़े जो हम ने तुम्हारे उगाल के
जुनूँ बरसाए पत्थर आसमाँ ने मज़रा-ए-जाँ पर
हम ने एहसान असीरी का न बर्बाद किया
डोरा नहीं है सुरमे का चश्म-ए-सियाह में
दिल में आते ही ख़ुशी साथ ही इक ग़म आया
अदा से देख लो जाता रहे गिला दिल का
आएँगे वो तो आप में हरगिज़ न आएँगे