Coupletss of Arshad Ali Khan Qalaq (page 3)

Coupletss of Arshad Ali Khan Qalaq (page 3)
नामअरशद अली ख़ान क़लक़
अंग्रेज़ी नामArshad Ali Khan Qalaq

बे-सबब ग़ुंचे चटकते नहीं गुलज़ारों में

बे-अब्र रिंद पीते नहीं वाइ'ज़ो शराब

बराबर एक से मिस्रा नज़र आते हैं अबरू के

बना कर तिल रुख़-ए-रौशन पर दो शोख़ी से से कहते हैं

बहार आते ही ज़ख़्म-ए-दिल हरे सब हो गए मेरे

बा'द मेरे जो किया शाद किसी को तो कहा

अपने बेगाने से अब मुझ को शिकायत न रही

ऐ परी-ज़ाद जो तू रक़्स करे मस्ती में

ऐ बे-ख़ुदी-ए-दिल मुझे ये भी ख़बर नहीं

अगर न जामा-ए-हस्ती मिरा निकल जाता

अगर न जामा-ए-हस्ती मिरा निकल जाता

अदा से देख लो जाता रहे गिला दिल का

आलम-ए-पीरी में क्या मू-ए-सियह का ए'तिबार

आख़िर इंसान हूँ पत्थर का तो रखता नहीं दिल

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