Bewafa Poetry of Arshad Ali Khan Qalaq

Bewafa Poetry of Arshad Ali Khan Qalaq
नामअरशद अली ख़ान क़लक़
अंग्रेज़ी नामArshad Ali Khan Qalaq

सितम वो तुम ने किए भूले हम गिला दिल का

ये बोले जो उन को कहा बे-मुरव्वत

वा'दा-ख़िलाफ़ कितने हैं ऐ रश्क-ए-माह आप

था क़स्द-ए-क़त्ल-ए-ग़ैर मगर मैं तलब हुआ

सितम वो तुम ने किए भूले हम गिला दिल का

रोज़-ए-अव्वल से असीर ऐ दिल-ए-नाशाद हैं हम

रग-ओ-पै में भरा है मेरे शोर उस की मोहब्बत का

जो साक़िया तू ने पी के हम को दिया है जाम-ए-शराब आधा

इश्क़ में तेरे जान-ए-ज़ार हैफ़ है मुफ़्त में चली

हुज़ूर-ए-ग़ैर तुम उश्शाक़ की तहक़ीर करते हो

हम ने एहसान असीरी का न बर्बाद किया

हम तो हों दिल से दूर रहें पास और लोग

गर दिल में कर के सैर-ए-दिल-ए-दाग़-दार देख

दफ़्तर जो गुलों के वो सनम खोल रहा है

बशर के फ़ैज़-ए-सोहबत से लियाक़त आ ही जाती है

बाक़ी न हुज्जत इक दम-ए-इसबात रह गई

अदा से देख लो जाता रहे गिला दिल का

आश्ना होते ही उस इश्क़ ने मारा मुझ को

आशिक़-ए-गेसू-ओ-क़द तेरे गुनहगार हैं सब

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