Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_7db15d7b6792cb394213318667d8de2f, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
मिरे ख़ेमे ख़स्ता-हाल में हैं मिरे रस्ते धुँद के जाल में हैं - अरशद अब्दुल हमीद कविता - Darsaal

मिरे ख़ेमे ख़स्ता-हाल में हैं मिरे रस्ते धुँद के जाल में हैं

मिरे ख़ेमे ख़स्ता-हाल में हैं मिरे रस्ते धुँद के जाल में हैं

मुझे शाम हुई है जंगल में मिरे सारे सितारे ज़वाल में हैं

मुझे रंगों से कोई शग़्ल नहीं मुझे ख़ुशबू में कोई दख़्ल नहीं

मिरे नाम का कोई नख़्ल नहीं मिरे मौसम ख़ाक-ए-मलाल में हैं

आकाश है क़दमों के नीचे दरिया का पानी सर पर है

इक मछली नाव पे बैठी है और सब मछवारे जाल में हैं

ये दुनिया अकबर ज़ुल्मों की हम मजबूरी की अनारकली

हम दीवारों के बीच में हैं हम नरग़ा-ए-जब्र-ओ-जलाल में हैं

मिरे दिल के नूर से बढ़ के नहीं मिरी जाँ के सुरूर से बढ़ के नहीं

जो माह ओ मेहर फ़लक पर हैं जो लाल ओ गुहर पाताल में हैं

इक मग़रिब आया मशरिक़ में मिरी फ़ौज के टुकड़े कर डाले

अब आधे सिपाही जुनूब में हैं और आधे सिपाही शुमाल में हैं

ईमान की छागल फूट गई आमाल की लाठी टूट गई

हम ऐसे गल्लाबानों के सब नाक़े ख़ौफ़-ए-क़िताल में हैं

(908) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Mere KHeme KHasta-haal Mein Hain Mere Raste Dhund Ke Jal Mein Hain In Hindi By Famous Poet Arshad Abdul Hamid. Mere KHeme KHasta-haal Mein Hain Mere Raste Dhund Ke Jal Mein Hain is written by Arshad Abdul Hamid. Complete Poem Mere KHeme KHasta-haal Mein Hain Mere Raste Dhund Ke Jal Mein Hain in Hindi by Arshad Abdul Hamid. Download free Mere KHeme KHasta-haal Mein Hain Mere Raste Dhund Ke Jal Mein Hain Poem for Youth in PDF. Mere KHeme KHasta-haal Mein Hain Mere Raste Dhund Ke Jal Mein Hain is a Poem on Inspiration for young students. Share Mere KHeme KHasta-haal Mein Hain Mere Raste Dhund Ke Jal Mein Hain with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.