अरशद अब्दुल हमीद कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का अरशद अब्दुल हमीद
नाम | अरशद अब्दुल हमीद |
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अंग्रेज़ी नाम | Arshad Abdul Hamid |
जन्म स्थान | Tonk |
ज़मीं के पास किसी दर्द का इलाज नहीं
ये किस को याद किया रूह की ज़रूरत ने
ये इंतिज़ार नहीं शम्अ है रिफ़ाक़त की
ये दुनिया अकबर ज़ुल्मों की हम मजबूरी की अनारकली
उन्हें ये ज़ोम कि बे-सूद है सदा-ए-सुख़न
सुख़न के चाक में पिन्हाँ तुम्हारी चाहत है
सर-बुलंदी मिरी तंहाई तक आ पहुँची है
मुद्दतों घाव किए जिस के बदन पर हम ने
मिट्टी को चूम लेने की हसरत ही रह गई
मिले जो उस से तो यादों के पर निकल आए
मिरा ही सीना कुशादा है चाहतों के तईं
मैं अपने आप को भी देखने से क़ासिर हूँ
कुछ सितारे मिरी पलकों पे चमकते हैं अभी
इश्क़ मरहून-ए-हिकायात-ओ-गुमाँ भी होगा
हवेली छोड़ने का वक़्त आ गया 'अरशद'
हमें तो शम्अ के दोनों सिरे जलाने हैं
हल्क़ा-ए-दिल से न निकलो कि सर-ए-कूचा-ए-ख़ाक
ग़म-ए-जहान ओ ग़म-ए-यार दो किनारे हैं
दिल को मालूम है क्या बात बतानी है उसे
सुख़न के चाक में पिन्हाँ तुम्हारी चाहत है
शर्त-ए-दीवार-ओ-दर-ओ-बाम उठा दी है तो क्या
रुकते हुए क़दमों का चलन मेरे लिए है
मुझ को तक़दीर ने यूँ बे-सर-ओ-आसार किया
मुझ सा बेताब यहाँ कोई नहीं मेरे सिवा
मिले जो उस से तो यादों के पर निकल आए
मिरे ख़ेमे ख़स्ता-हाल में हैं मिरे रस्ते धुँद के जाल में हैं
मेरे अशआर तमव्वुज पे जो आए हुए हैं
मेहर ओ महताब को मेरे ही निशाँ जानती है
लकीर-ए-संग को अन्क़ा-मिसाल हम ने किया
कोई भी शय हो मियाँ जान से प्यारी किसे है