Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_35a81354dd673be2ec8e2dda38a7dc25, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
आख़िर हम ने तौर पुराना छोड़ दिया - अर्श सिद्दीक़ी कविता - Darsaal

आख़िर हम ने तौर पुराना छोड़ दिया

आख़िर हम ने तौर पुराना छोड़ दिया

उस की गली में आना-जाना छोड़ दिया

मंज़र भी सब बाँझ रुतों में डूब गए

आँखों पर भी पहरा बिठाना छोड़ दिया

ख़त्म हुई शोरीदा-सरी लब सिल से गए

महफ़िल महफ़िल हँसना-हँसाना छोड़ दिया

नज़रों पर खिड़की के पट दीवार किए

दरवाज़ों में उस का सजाना छोड़ दिया

जब से हुआ एहसास दिया होने का हमें

तेज़ हवा के सामने जाना छोड़ दिया

डर था कहीं कुछ अपने लिए भी माँग न लें

हम ने दुआ को हाथ उठाना छोड़ दिया

'अर्श' हुआ इक लफ़्ज़ जो मिन्हा यादों से

हम ने घर को क़ुफ़्ल लगाना छोड़ दिया

(1901) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

AaKHir Humne Taur Purana ChhoD Diya In Hindi By Famous Poet Arsh Siddiqui. AaKHir Humne Taur Purana ChhoD Diya is written by Arsh Siddiqui. Complete Poem AaKHir Humne Taur Purana ChhoD Diya in Hindi by Arsh Siddiqui. Download free AaKHir Humne Taur Purana ChhoD Diya Poem for Youth in PDF. AaKHir Humne Taur Purana ChhoD Diya is a Poem on Inspiration for young students. Share AaKHir Humne Taur Purana ChhoD Diya with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.