Sad Poetry of Arsh Sahbai
नाम | अर्श सहबाई |
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अंग्रेज़ी नाम | Arsh Sahbai |
ज़िंदगी कुछ सोज़ है कुछ साज़ है
ये आइना था मगर ग़म की रहगुज़ार में था
उन से इज़हार-ए-शिकायत करूँ या न करूँ
मैं हूँ ऐसे बिखरा सा
कश्ती-ए-दिल नज़्र-ए-तूफ़ाँ हो गई
हज़ार हादसात-ए-ग़म रवाँ-दवाँ लिए हुए
हंगामा-हा-ए-बादा-ओ-पैमाना देख कर
दिल-ए-मुज़्तर से नालाँ हैं उधर वो भी इधर हम भी
दिल-ए-बेताब को बहलाने चले आए हैं