Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_f7c3dd9c824cecfbc5d579436338867e, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
ये आइना था मगर ग़म की रहगुज़ार में था - अर्श सहबाई कविता - Darsaal

ये आइना था मगर ग़म की रहगुज़ार में था

ये आइना था मगर ग़म की रहगुज़ार में था

अटा हुआ मिरा दिल दर्द के ग़ुबार में था

क़दम क़दम पे कई रंग के थे हंगामे

अजीब लुत्फ़ सितम-हा-ए-रोज़गार में था

न कर सका मैं फ़रामोश उस की कोई बात

मिरा ख़याल कि ये मेरे इख़्तियार में था

जुनूँ के दश्त में पैहम भटक रहा था दिल

मगर ये ज़ेहन हक़ाएक़ के कार-ज़ार में था

गिरा जो पलकों से इक अश्क कह गया सब कुछ

कहाँ फ़साने में जो लुत्फ़ इख़्तिसार में था

खुले हुए थे कई मस्लहत के दरवाज़े

मगर ये दिल था कि डूबा हुआ वक़ार में था

किसे पुकारते हम राह-ए-ज़िंदगी में 'अर्श'

हर एक शख़्स ख़ुद अपने ही इंतिज़ार में था

(805) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Ye Aaina Tha Magar Gham Ki Rahguzar Mein Tha In Hindi By Famous Poet Arsh Sahbai. Ye Aaina Tha Magar Gham Ki Rahguzar Mein Tha is written by Arsh Sahbai. Complete Poem Ye Aaina Tha Magar Gham Ki Rahguzar Mein Tha in Hindi by Arsh Sahbai. Download free Ye Aaina Tha Magar Gham Ki Rahguzar Mein Tha Poem for Youth in PDF. Ye Aaina Tha Magar Gham Ki Rahguzar Mein Tha is a Poem on Inspiration for young students. Share Ye Aaina Tha Magar Gham Ki Rahguzar Mein Tha with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.