पी लेंगे ज़रा शैख़ तो कुछ गर्म रहेंगे
ठंडा न कहीं कर दें ये जन्नत की हवाएँ
Javed Akhtar
Rahat Indori
Jaun Eliya
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Parveen Shakir
Habib Jalib
Gulzar
Anwar Masood
Faiz Ahmad Faiz
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वो ले के हौसला-ए-अज़्म-ए-बे-पनाह चले
हुस्न पर दस्तरस की बात न कर
तिरी दुनिया को ऐ वाइज़ मिरी दुनिया से क्या निस्बत
'अर्श' पहले ये शिकायत थी ख़फ़ा होता है वो
दीवाली
मेरे प्यारे वतन
तौबा तौबा ये बला-ख़ेज़ जवानी तौबा
मोहब्बत सोज़ भी है साज़ भी है
मौत ही इंसान की दुश्मन नहीं
वो सहरा जिस में कट जाते हैं दिन याद-ए-बहाराँ से
साक़ी मिरी ख़मोश-मिज़ाजी की लाज रख
हुस्न हर हाल में है हुस्न परागंदा नक़ाब