न नशेमन है न है शाख़-ए-नशेमन बाक़ी
लुत्फ़ जब है कि करे अब कोई बर्बाद मुझे
Gulzar
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आग ही आग है गुलशन ये कोई क्या जाने
जश्न-ए-आज़ादी
पहला सा वो जुनून-ए-मोहब्बत नहीं रहा
तौबा तौबा ये बला-ख़ेज़ जवानी तौबा
मोहब्बत सोज़ भी है साज़ भी है
हुस्न हर हाल में है हुस्न परागंदा नक़ाब
दिल-ए-फ़सुर्दा पे सौ बार ताज़गी आई
दीवाली
'अर्श' किस दोस्त को अपना समझूँ
इश्क़-ए-बुताँ का ले के सहारा कभी कभी
इक रौशनी सी दिल में थी वो भी नहीं रही
दिए जलाए उम्मीदों ने दिल के गिर्द बहुत