रहगुज़र रहगुज़र से पूछ लिया
रहगुज़र रहगुज़र से पूछ लिया
तेरा घर सब के घर से पूछ लिया
जो ज़बाँ से न कर सके वो बयाँ
हम ने उन की नज़र से पूछ लिया
गुमरही और बढ़ गई अपनी
रास्ता राहबर से पूछ लिया
जब ज़मीं ने दिया न तेरा पता
हम ने शम्स ओ क़मर से पूछ लिया
तुम न आओ न आएगी रौनक़
हम ने दीवार-ओ-दर से पूछ लिया
मेरी चुप को वो क्या समझते हैं
राज़ जब चश्म-ए-तर से पूछ लिया
इल्म का राज़ 'अर्श' बस ये है
कुछ इधर कुछ उधर से पूछ लिया
(863) Peoples Rate This