नैरंगी-ए-बहार-ओ-ख़िज़ाँ देखते रहे
नैरंगी-ए-बहार-ओ-ख़िज़ाँ देखते रहे
हैरत से हम तिलिस्म-ए-जहाँ देखते रहे
पेश-ए-नज़र जहाँ के रही रहमत-ए-ख़ुदा
हम बरहमी-ए-हुस्न-ए-बुताँ देखते रहे
हर गुल हमारी अक़्ल पे हँसता रहा मगर
हम फ़स्ल-ए-गुल में रंग-ए-ख़िज़ाँ देखते रहे
अर्ज़-ए-नियाज़-ए-शौक़ की अच्छी मिली ये दाद
हँस कर वो मेरे अश्क-ए-रवाँ देखते रहे
तय कर गया जुनूँ मिरा इक जस्त में उन्हें
हैरत से मुझ को कौन-ओ-मकाँ देखते रहे
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