Sad Poetry of Arman Najmi
नाम | अरमान नज्मी |
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अंग्रेज़ी नाम | Arman Najmi |
ताज-ए-ज़र्रीं न कोई मसनद-ए-शाही माँगूँ
पिछली रफ़ाक़तों का न इतना मलाल कर
निगाह-ए-तिश्ना से हैरत का बाब देखते हैं
कभी तो आ के मिलो मेरा हाल तो पूछो
गिरते उभरते डूबते धारे से कट गया
इक बे-निशान हर्फ़-ए-सदा की तरफ़ न देख
बुझी नहीं अभी ये प्यास भी ग़नीमत है
अपनी सच्चाई का आज़ार जो पाले हुए हैं