Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_e7ccbe3b80e22f1a4a4820d4c934e554, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
निगाह-ए-तिश्ना से हैरत का बाब देखते हैं - अरमान नज्मी कविता - Darsaal

निगाह-ए-तिश्ना से हैरत का बाब देखते हैं

निगाह-ए-तिश्ना से हैरत का बाब देखते हैं

बिसात-ए-आब पे रक़्स-ए-सराब देखते हैं

उखड़ते ख़ेमों पे क्या क़हर-ए-शाम टूटा है

लहू में डूबा हुआ आफ़्ताब देखते हैं

नहीं है क़तरे की औक़ात भी जिन्हें हासिल

वो कम-नज़र भी समुंदर के ख़्वाब देखते हैं

उन्हें तो वक़्त की गर्दिश असीर कर भी चुकी

वो अब गुज़िश्ता ज़माने का ख़्वाब देखते हैं

हमें तो मौज-ए-रवाँ भी नज़र नहीं आती

वो लोग और हैं जो ज़ेर-ए-आब देखते हैं

दयार-ए-शौक़ की मिट्टी में क्या गुहर ही नहीं

नुमू की रुत को भी बे-आब-ओ-ताब देखते हैं

सज़ा मिलेगी हमें तो ज़िया-ब-दोशी की

चराग़-ए-जाँ पे हवा का इ'ताब देखते हैं

मिला नहीं उन्हें सैराबी-ए-वुजूद का लम्स

ये दश्त सदियों से राह-ए-सहाब देखते हैं

(837) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Nigah-e-tishna Se Hairat Ka Bab Dekhte Hain In Hindi By Famous Poet Arman Najmi. Nigah-e-tishna Se Hairat Ka Bab Dekhte Hain is written by Arman Najmi. Complete Poem Nigah-e-tishna Se Hairat Ka Bab Dekhte Hain in Hindi by Arman Najmi. Download free Nigah-e-tishna Se Hairat Ka Bab Dekhte Hain Poem for Youth in PDF. Nigah-e-tishna Se Hairat Ka Bab Dekhte Hain is a Poem on Inspiration for young students. Share Nigah-e-tishna Se Hairat Ka Bab Dekhte Hain with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.