यही होना था और हुआ जानाँ
यही होना था और हुआ जानाँ
हो गए हम जुदा जुदा जानाँ
कोई आसाँ न थी तिरी फ़ुर्क़त
मैं हक़ीक़त में रो पड़ा जानाँ
तिरे अंदर हूँ मैं ही मैं हर सू
मिरे अंदर तू जा-ब-जा जानाँ
हँस के मिलता है हर कोई ऐसे
जैसे हर शख़्स हो ख़फ़ा जानाँ
अब मैं चलता हूँ चल ख़ुदा-हाफ़िज़
शहर ये वो नहीं रहा जानाँ
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