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मुझ को फ़ुर्क़त से गुज़ारा जाएगा - आरिफ़ इशतियाक़ कविता - Darsaal

मुझ को फ़ुर्क़त से गुज़ारा जाएगा

मुझ को फ़ुर्क़त से गुज़ारा जाएगा

आज तो शब-ख़ून मारा जाएगा

राएगाँ मैं और तू भी राएगाँ

दूर तक उस का ख़सारा जाएगा

याद की गलियों में सीना पीट कर

रात-दिन तुम को पुकारा जाएगा

सरहद-ए-दिल पर है ख़ूनी मा'रका

आज अपना आप मारा जाएगा

आप को नफ़रत पसंद आई मिरी

आप पर से ख़ून वारा जाएगा

मैं ने फ़रमाया था कि दिल से न जा

अब गया थोड़ा तो सारा जाएगा

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