Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_036b2600960fdf6b0923e94f999a2673, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
दिया जलाएगी तू और मैं बुझाऊँगा - आरिफ़ इशतियाक़ कविता - Darsaal

दिया जलाएगी तू और मैं बुझाऊँगा

दिया जलाएगी तू और मैं बुझाऊँगा

मुझे न चाह मैं नफ़रत से पेश आऊँगा

मैं सख़्त-दिल ही रहूँगा यही रिआ'यत है

मैं बार बार तिरा दिल नहीं दुखाऊँगा

मुझे पता नहीं क्या हो गया है कुछ दिन से

पता चला भी तो तुझ को नहीं बताऊँगा

मैं चाहता हूँ मिरी बात का असर कम हो

ज़ियादा देर मगर झूट कह न पाऊँगा

हँसी की बात है अपनी ही और वो ये कि

मिरा ख़याल था मैं तुझ को भूल जाऊँगा

(1012) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Diya Jalaegi Tu Aur Main Bujhahunga In Hindi By Famous Poet Arif Ishtiaque. Diya Jalaegi Tu Aur Main Bujhahunga is written by Arif Ishtiaque. Complete Poem Diya Jalaegi Tu Aur Main Bujhahunga in Hindi by Arif Ishtiaque. Download free Diya Jalaegi Tu Aur Main Bujhahunga Poem for Youth in PDF. Diya Jalaegi Tu Aur Main Bujhahunga is a Poem on Inspiration for young students. Share Diya Jalaegi Tu Aur Main Bujhahunga with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.