Ghazals of Arif Ansari
नाम | आरिफ़ अंसारी |
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अंग्रेज़ी नाम | Arif Ansari |
ज़हराब-ए-तिश्नगी का मज़ा हम से पूछिए
रहती है सबा जैसे ख़ुशबू के तआ'क़ुब में
कुछ मिरी सुन कुछ अपनी सुना ज़िंदगी
दिल क्या किसी की बात से अंदर से कट गया
दास्ताँ भी मुख़्तलिफ़ लहजा भी यारों से जुदा
बाग़बाँ की बे-रुख़ी से नीले-पीले हो गए
अपने अहबाब को अशआ'र सुनाने निकला
अल्फ़ाज़ के पत्थर क्या फेंके गए पानी में