Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_78521089ea68c1e7700c51175a735734, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
मैं जिस को राह दिखाऊँ वही हटाए मुझे - आरिफ़ अब्दुल मतीन कविता - Darsaal

मैं जिस को राह दिखाऊँ वही हटाए मुझे

मैं जिस को राह दिखाऊँ वही हटाए मुझे

मैं नक़्श-ए-पा हूँ कोई ख़ाक से उठाए मुझे

महक उठेगी फ़ज़ा मेरे तन की ख़ुश्बू से

मैं ऊद हूँ कभी आ कर कोई जलाए मुझे

चराग़ हूँ तो फ़क़त ताक़ क्यूँ मुक़द्दर हो

कोई ज़माने के दरिया में भी बहाए मुझे

मैं मुश्त-ए-ख़ाक हूँ सहरा मिरी तमन्ना है

हवा-ए-तेज़ किसी तौर से उड़ाए मुझे

अगर मिरा है तो उतरे कभी मिरे घर में

वो चाँद बन के न यूँ दूर से लुभाए मुझे

वो आईने की तरह मेरे सामने आए

मुझे नहीं तो मिरा अक्स ही दिखाए मुझे

उमंडती यादों के आशोब से में वाक़िफ़ हूँ

ख़ुदा करे किसी सूरत वो भूल जाए मुझे

वफ़ा निगाह की तालिब है इम्तिहाँ की नहीं

वो मेरी रूह में झाँके न आज़माए मुझे

(986) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Main Jis Ko Rah Dikhaun Wahi HaTae Mujhe In Hindi By Famous Poet Arif Abdul Mateen. Main Jis Ko Rah Dikhaun Wahi HaTae Mujhe is written by Arif Abdul Mateen. Complete Poem Main Jis Ko Rah Dikhaun Wahi HaTae Mujhe in Hindi by Arif Abdul Mateen. Download free Main Jis Ko Rah Dikhaun Wahi HaTae Mujhe Poem for Youth in PDF. Main Jis Ko Rah Dikhaun Wahi HaTae Mujhe is a Poem on Inspiration for young students. Share Main Jis Ko Rah Dikhaun Wahi HaTae Mujhe with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.