Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_d6c9deb3d5d7276784ea94230121105a, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
मैं अज़ल का राह-रौ मुझ को अबद की जुस्तुजू - आरिफ़ अब्दुल मतीन कविता - Darsaal

मैं अज़ल का राह-रौ मुझ को अबद की जुस्तुजू

मैं अज़ल का राह-रौ मुझ को अबद की जुस्तुजू

गर्द-ए-रह मेरे जिलौ में साथ मेरे मैं न तू

ज़र्द था चेहरा मगर मसरूर था पहलू में दिल

बर्ग-ए-गुल जब ले उड़ा चुपके से मेरा रंग-ओ-बू

मुझ को अपने शहर का हर एक ज़र्रा है अज़ीज़

ऐ हवा ले जा उड़ा कर ख़ाक मेरी कू-ब-कू

वक़्त का दरिया कि जिस में मैं कँवल बन कर खुला

सोचिए तो बहर है और देखिए तो आबजू

मैं मुसव्विर हूँ मगर तस्वीर है ख़ालिक़ मिरी

रंग भरती है मिरे ख़ाके में मेरी आरज़ू

ज़ात का आईना जब देखा तो हैरानी हुई

मैं न था गोया कोई मुझ सा था मेरे रू-ब-रू

लज़्ज़त-ए-ख़ुद-आगही का फ़ैज़ है 'आरिफ़' कि हम

पहरों अपने आप से रहते हैं महव-ए-गुफ़्तुगू

(917) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Main Azal Ka Rah-rau Mujhko Abad Ki Justuju In Hindi By Famous Poet Arif Abdul Mateen. Main Azal Ka Rah-rau Mujhko Abad Ki Justuju is written by Arif Abdul Mateen. Complete Poem Main Azal Ka Rah-rau Mujhko Abad Ki Justuju in Hindi by Arif Abdul Mateen. Download free Main Azal Ka Rah-rau Mujhko Abad Ki Justuju Poem for Youth in PDF. Main Azal Ka Rah-rau Mujhko Abad Ki Justuju is a Poem on Inspiration for young students. Share Main Azal Ka Rah-rau Mujhko Abad Ki Justuju with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.