Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_9975b608e20540284e45f83cde61d7a2, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
'आरिफ़' अज़ल से तेरा अमल मोमिनाना था - आरिफ़ अब्दुल मतीन कविता - Darsaal

'आरिफ़' अज़ल से तेरा अमल मोमिनाना था

'आरिफ़' अज़ल से तेरा अमल मोमिनाना था

हाँ ग़म ये था कि फ़िक्र का ढब काफ़िराना था

तू मुझ से दूर रह के भी मेरे क़रीब था

हर चंद तू ख़ुदा की तरह था ख़ुदा न था

तन्हाई-ए-बसीत का वो अहद याद कर

जब तेरे पास कोई भी तेरे सिवा न था

था ए'तिमाद-ए-हुस्न से तू इस क़दर तही

आईना देखने का तुझे हौसला न था

मैं ने किया है तुझ को तिरे रू-ब-रू मगर

खींच जाएगा मुझी से तू मुझ को पता न था

बख़्शा है तू ने मेरी वफ़ा को ख़ुद अपना रंग

वर्ना मिरी निगाह में कोई सिला न था

उम्र-ए-अज़ीज़ राह-नवर्दी में कट गई

मंज़िल ने दी ख़बर कि मुसाफ़िर चला न था

आई है गुल्सिताँ से मिरी सम्त किस लिए

जब नामा मेरे नाम कोई ऐ सबा न था

कुंज-ए-क़फ़स में सर-ब-गरेबाँ पड़ा हूँ मैं

'आरिफ़' चमन में कोई मिरा हम-नवा न था

(929) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Aarif Azal Se Tera Amal Mominana Tha In Hindi By Famous Poet Arif Abdul Mateen. Aarif Azal Se Tera Amal Mominana Tha is written by Arif Abdul Mateen. Complete Poem Aarif Azal Se Tera Amal Mominana Tha in Hindi by Arif Abdul Mateen. Download free Aarif Azal Se Tera Amal Mominana Tha Poem for Youth in PDF. Aarif Azal Se Tera Amal Mominana Tha is a Poem on Inspiration for young students. Share Aarif Azal Se Tera Amal Mominana Tha with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.