Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_2f81d924c15fc4177f39d7ecac0d57cb, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
शायद कोई कमी मेरे अंदर कहीं पे है - अक़ील शादाब कविता - Darsaal

शायद कोई कमी मेरे अंदर कहीं पे है

शायद कोई कमी मेरे अंदर कहीं पे है

मैं आसमाँ पे हूँ मिरा साया ज़मीं पे है

अफ़्साना-ए-हयात का हर एक सानेहा

तहरीर हर्फ़ हर्फ़ हमारी जबीं पे है

दरिया में जिस तरह से हो माही उसी तरह

मैं हूँ जहाँ पे मेरा ख़ुदा भी वहीं पे है

जन्नत ख़ुदा ही जाने कहाँ है कहाँ नहीं

मुझ को यक़ीन है कि जहन्नम यहीं पे है

यूँ जी रहे हैं सख़्त अज़िय्यत के बावजूद

दार-ओ-मदार ज़ीस्त का जैसे हमीं पे है

इस तरह फ़ासलों पे फ़तह पा चुके हैं हम

इक पाँव आसमान पे है इक ज़मीं पे है

'शादाब' हुस्न-ओ-इश्क़ मसावी हैं आज-कल

इल्ज़ाम मुझ पे है वही उस नाज़नीं पे है

(1010) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Shayad Koi Kami Mere Andar Kahin Pe Hai In Hindi By Famous Poet Aqeel Shadab. Shayad Koi Kami Mere Andar Kahin Pe Hai is written by Aqeel Shadab. Complete Poem Shayad Koi Kami Mere Andar Kahin Pe Hai in Hindi by Aqeel Shadab. Download free Shayad Koi Kami Mere Andar Kahin Pe Hai Poem for Youth in PDF. Shayad Koi Kami Mere Andar Kahin Pe Hai is a Poem on Inspiration for young students. Share Shayad Koi Kami Mere Andar Kahin Pe Hai with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.