हवस का रंग चढ़ा उस पे और उतर भी गया

हवस का रंग चढ़ा उस पे और उतर भी गया

वो ख़ुद ही जम्अ हुआ और ख़ुद बिखर भी गया

थी ज़िंदगी मिरी राहों के पेच-ओ-ख़म की असीर

मगर मैं रात के हमराह अपने घर भी गया

मैं दुश्मनों में भी घिर कर निडर रहा लेकिन

ख़ुद अपने जज़्बा-ए-हैवानियत से डर भी गया

मिरे लहू की तलब ने मुझे तबाह किया

हवस में संग की हाथों से मेरे सर भी गया

है लफ़्ज़-ओ-मा'नी का रिश्ता ज़वाल-आमादा

ख़याल पैदा हुआ भी न था कि मर भी गया

सिला ये मंज़िल-ए-मक़्सूद का मिला 'शादाब'

सफ़र तमाम हुआ और हम-सफ़र भी गया

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Hawas Ka Rang ChaDha Us Pe Aur Utar Bhi Gaya In Hindi By Famous Poet Aqeel Shadab. Hawas Ka Rang ChaDha Us Pe Aur Utar Bhi Gaya is written by Aqeel Shadab. Complete Poem Hawas Ka Rang ChaDha Us Pe Aur Utar Bhi Gaya in Hindi by Aqeel Shadab. Download free Hawas Ka Rang ChaDha Us Pe Aur Utar Bhi Gaya Poem for Youth in PDF. Hawas Ka Rang ChaDha Us Pe Aur Utar Bhi Gaya is a Poem on Inspiration for young students. Share Hawas Ka Rang ChaDha Us Pe Aur Utar Bhi Gaya with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.