हर इक रंज-ओ-ग़म से सुबुक-दोश हो जा

हर इक रंज-ओ-ग़म से सुबुक-दोश हो जा

उसे याद कर और मदहोश हो जा

नज़र उस की चाहे तो नज़रें झुका ले

है कुछ अर्ज़ करना तो ख़ामोश हो जा

सुकूँ के लिए बे-सुकूँ दिल को मत कर

परेशानियों से हम-आग़ोश हो जा

निकल पारसाई के ख़तरों से बाहर

तू मय-नोश है तो बला-नोश हो जा

है तश्हीर का सब से अच्छा ये नुस्ख़ा

अचानक किसी रोज़ रू-पोश हो जा

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Har Ek Ranj-o-gham Se Subuk-dosh Ho Ja In Hindi By Famous Poet Aqeel Nomani. Har Ek Ranj-o-gham Se Subuk-dosh Ho Ja is written by Aqeel Nomani. Complete Poem Har Ek Ranj-o-gham Se Subuk-dosh Ho Ja in Hindi by Aqeel Nomani. Download free Har Ek Ranj-o-gham Se Subuk-dosh Ho Ja Poem for Youth in PDF. Har Ek Ranj-o-gham Se Subuk-dosh Ho Ja is a Poem on Inspiration for young students. Share Har Ek Ranj-o-gham Se Subuk-dosh Ho Ja with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.