तय न कर पाई मंज़िलें तितली
तय न कर पाई मंज़िलें तितली
फँस गई मेरे जाल में तितली
रात के वक़्त जेब में जुगनू
सुब्ह-ता-शाम हाथ में तितली
इक नया रंग देखती है आँख
जब भी लेती है करवटें तितली
चौक में ढूँडने से क्या हासिल
ढूँडिए जा के बाग़ में तितली
सौ तरह के फ़रेब देती है
सौ बनाती है सूरतें तितली
हाथ 'जामिद' जो आ नहीं सकती
इस्तिआरन उसे कहें तितली
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