मैं भी सच कहता हूँ इस जुर्म में दुनिया वालो
मेरे हाथों में भी इक ज़हर का पियाला दे दो
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कितने सवाल सब की निगाहों में रख दिए
इस मरीज़-ए-ग़म-ए-ग़ुर्बत को सँभाला दे दो
अब भी कुछ लोग मोहब्बत पे यक़ीं रखते हैं
फ़ितरत का ये सितम भी है 'दानिश' अजीब चीज़