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भूलने वाले तुझे याद किया है बरसों - अनवापुल हसन अनवार कविता - Darsaal

भूलने वाले तुझे याद किया है बरसों

भूलने वाले तुझे याद किया है बरसों

दिल-ए-वीराँ को यूँ आबाद किया है बरसों

साथ जो दे न सका राह-ए-वफ़ा में अपना

बे-इरादा भी उसे याद किया है बरसों

ग़म जहाँ में वो रफ़ीक़-ए-अबदी है अपना

जिस ने हर हाल में दिल शाद किया है बरसों

भूल सकता हूँ भला गर्दिश-ए-दौराँ तुझ को

रोज़ तू ने सितम ईजाद किया है बरसों

कब गिरफ़्तार-ए-ख़म-ए-गेसू-ए-हिज्राँ न रहा

कब तिरे दर्द ने आज़ार किया है बरसों

अब भी 'अनवार' पशेमानी-ए-ख़ातिर हो न क्यूँ

उम्र-ए-रफ़्ता तुझे बर्बाद किया है बरसों

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