इश्क़ पर दाना नहीं मोहताज-ए-तहरीक-ए-जमाल
इश्क़ पर दाना नहीं मोहताज-ए-तहरीक-ए-जमाल
जलने वाला जल बुझेगा शम-ए-सोज़ाँ देख कर
ऐ मआज़-अल्लाह वहशी और सलामत पैरहन
शर्म दामन-गीर होती है गरेबाँ देख कर
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इश्क़ पर दाना नहीं मोहताज-ए-तहरीक-ए-जमाल
जलने वाला जल बुझेगा शम-ए-सोज़ाँ देख कर
ऐ मआज़-अल्लाह वहशी और सलामत पैरहन
शर्म दामन-गीर होती है गरेबाँ देख कर
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