अनवरी जहाँ बेगम हिजाब कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का अनवरी जहाँ बेगम हिजाब

अनवरी जहाँ बेगम हिजाब कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का अनवरी जहाँ बेगम हिजाब
नामअनवरी जहाँ बेगम हिजाब
अंग्रेज़ी नामAnwari Jahan Begum Hijab

वो मक़्तल में अगर खींचे हुए तलवार बैठे हैं

सारे कुश्तों से जुदा ढंग इज़्तिराब-ए-दिल का है

मुहीत-ए-रहमत है जोश-अफ़ज़ा हुई है अब्र-ए-सख़ा की आमद

मज़ा देता है याद आ कर तिरा बिस्मिल बना देना

खींच कर तलवार जब तर्क-ए-सितमगर रह गया

कहाँ मुमकिन है पोशीदा ग़म-ए-दिल का असर होना

इश्क़ पर दाना नहीं मोहताज-ए-तहरीक-ए-जमाल

आना भी आने वाले का अफ़्साना हो गया

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