नहीं मिलते 'शुऊर' आँसू बहाते
नहीं मिलते 'शुऊर' आँसू बहाते
नज़र आते हैं हँसते-मुस्कुराते
वो घंटों बैठते हैं दोस्तों में
मगर देखा अकेले आते जाते
निकल जाते हैं ना-मालूम जानिब
वो गिर्द-ओ-पेश से नज़रें बचाते
जिसे कहते हैं लोग उम्मुल-ख़बाइस
रहे उन के उसी से रिश्ते-नाते
वो क्या जिन्नात से करते हैं बातें
उन्हें पाया गया है बुदबुदाते
उठा पाए न अपना बोझ भी वो
भला क्या दूसरों के काम आते
अयाँ था बे-ख़ुदी से हाल उन का
कोई क्या पूछता वो क्या बताते
बता लेते हैं मौसम हर तरह का
अनादिल बोस्ताँ में रोते गाते
'शुऊर' आप आए हैं मिलने सर-ए-शाम
हमारे पास होती तो पिलाते
(871) Peoples Rate This