अनवर शऊर कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का अनवर शऊर
नाम | अनवर शऊर |
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अंग्रेज़ी नाम | Anwar Shuoor |
जन्म की तारीख | 1943 |
जन्म स्थान | Karachi |
नहीं ख़स्ता-हाली पे ना-मुतमइन हम
सामाँ तो बेहद है दिल में
ज़बाँ ज़बाँ पे है एलान-ए-तर्क-ए-तम्बाकू
यक़ीनन सर छुपाने की ग़रज़ से
ख़लाई दौर है तकरार का ज़माना है
ज़िंदगी की ज़रूरतों का यहाँ
ज़माने के झमेलों से मुझे क्या
वो रंग रंग के छींटे पड़े कि उस के ब'अद
वो मुझ से रूठ न जाती तो और क्या करती
ठहर सकती है कहाँ उस रुख़-ए-ताबाँ पे नज़र
था व'अदा शाम का मगर आए वो रात को
तेरी आस पे जीता था मैं वो भी ख़त्म हुई
तिरे होते जो जचती ही नहीं थी
सिर्फ़ उस के होंट काग़ज़ पर बना देता हूँ मैं
'शुऊर' तुम ने ख़ुदा जाने क्या किया होगा
'शुऊर' सिर्फ़ इरादे से कुछ नहीं होता
'शुऊर' ख़ुद को ज़हीन आदमी समझते हैं
सामने आ कर वो क्या रहने लगा
सच है उम्र भर किस का कौन साथ देता है
सभी ज़िंदगी के मज़े लूटते हैं
निज़ाम-ए-ज़र में किसी और काम का क्या हो
मुस्कुराए बग़ैर भी वो होंट
मुस्कुरा कर देख लेते हो मुझे
मोहब्बत रही चार दिन ज़िंदगी में
मिरी हयात है बस रात के अँधेरे तक
मेरे घर के तमाम दरवाज़े
मरने वाला ख़ुद रूठा था
लोग सदमों से मर नहीं जाते
लगी रहती है अश्कों की झड़ी गर्मी हो सर्दी हो
कोई ज़ंजीर नहीं तार-ए-नज़र से मज़बूत