कासा-लेसों ने जो थी नज़्र उतारी तेरी

कासा-लेसों ने जो थी नज़्र उतारी तेरी

वही ले डूबी तुझे हश्त-हज़ारी तेरी

पूछा जाएगा दौर-ए-हुमायूनी का

रू-ब-कार आज है सरकार से जारी तेरी

उस का दीदार हमा-वक़्त इबादत मेरी

आँख ने दिल पे जो तस्वीर उतारी तेरी

हम ने हर सम्त बिछा रक्खी हैं आँखें अपनी

जाने किस सम्त से आ जाए सवारी तेरी

तर्क-ए-उल्फ़त का इरादा है मुसम्मम उस का

काम आई ही नहीं मिन्नत-ओ-ज़ारी तेरी

ज़र्ब-ए-पैहम का तसलसुल न अभी तोड़ 'सदीद'

इक नई ज़र्ब भी हो सकती है कारी तेरी

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