Ghazals of Anwar Sadeed
नाम | अनवर सदीद |
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अंग्रेज़ी नाम | Anwar Sadeed |
जन्म की तारीख | 1928 |
मौत की तिथि | 2016 |
जन्म स्थान | Sargodha |
ज़ोर से आँधी चली तो बुझ गए सारे चराग़
उस की अना के बुत को बड़ा कर के देखते
तुझ को तो क़ुव्वत-ए-इज़हार ज़माने से मिली
तू जिस्म है तो मुझ से लिपट कर कलाम कर
तू भी कर ग़ौर इस कहानी पर
तलाश जिस को मैं करता फिरा ख़राबों में
सियाहियों का नगर रौशनी से अट जाए
साँसों में मिल गई तिरी साँसों की बास थी
सफ़ीना ले गए मौजों की गर्म-जोशी में
पीले पीले चेहरों में उभरी है आज की शाम
मौसम सर्द हवाओं का
ख़्वाबों की तफ़्सील बता कर जाएँगे
कासा-लेसों ने जो थी नज़्र उतारी तेरी
हर सम्त समुंदर है हर सम्त रवाँ पानी
हद-ए-नज़र से मिरा आसमाँ है पोशीदा
दुश्मन तो मेरे तन से लहू चूसता रहा
दीवार पर लिखा न पढ़ो और ख़ुश रहो
अपने दिल की आदत है शहज़ादों वाली
अहद-ए-हाज़िर इक मशीन और उस का कारिंदा हूँ मैं
आरज़ू थी ये बिखेरें अपनी किरनें सुब्ह तक
आरज़ू ने जिस की पोरों तक था सहलाया मुझे