अनवर सदीद कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का अनवर सदीद
नाम | अनवर सदीद |
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अंग्रेज़ी नाम | Anwar Sadeed |
जन्म की तारीख | 1928 |
मौत की तिथि | 2016 |
जन्म स्थान | Sargodha |
ज़मीं का रिज़्क़ हूँ लेकिन नज़र फ़लक पर है
यूँ तसल्ली को तो इक याद भी काफ़ी थी मगर
उस के बग़ैर ज़िंदगी कितनी फ़ुज़ूल है
तू जिस्म है तो मुझ से लिपट कर कलाम कर
शिकवा किया ज़माने का तो उस ने ये कहा
सैल-ए-ज़माँ में डूब गए मशहूर-ए-ज़माना लोग
पँख हिला कर शाम गई है इस आँगन से
कोई भी पेचीदगी हाएल नहीं अनवर-'सदीद'
खुली ज़बान तो ज़र्फ़ उन का हो गया ज़ाहिर
ख़ाक हूँ लेकिन सरापा नूर है मेरा वजूद
कल शाम परिंदों को उड़ते हुए यूँ देखा
जो फूल झड़ गए थे जो आँसू बिखर गए
जागती आँख से जो ख़्वाब था देखा 'अनवर'
हम ने हर सम्त बिछा रक्खी हैं आँखें अपनी
घुप-अँधेरे में भी उस का जिस्म था चाँदी का शहर
दुख के ताक़ पे शाम ढले
दम-ए-विसाल तिरी आँच इस तरह आई
चश्मे की तरह फूटा और आप ही बह निकला
चला मैं जानिब-ए-मंज़िल तो ये हुआ मालूम
आशियानों में न जब लौटे परिंदे तो 'सदीद'
नया शहर
एक ख़्वाहिश
ज़ोर से आँधी चली तो बुझ गए सारे चराग़
उस की अना के बुत को बड़ा कर के देखते
तुझ को तो क़ुव्वत-ए-इज़हार ज़माने से मिली
तू जिस्म है तो मुझ से लिपट कर कलाम कर
तू भी कर ग़ौर इस कहानी पर
तलाश जिस को मैं करता फिरा ख़राबों में
सियाहियों का नगर रौशनी से अट जाए
साँसों में मिल गई तिरी साँसों की बास थी