गुम कर दें इक ज़रा तुझे ख़्वाबों के शहर में
गुम कर दें इक ज़रा तुझे ख़्वाबों के शहर में
नुक्ते कुछ ऐसे ढूँड किताबों के शहर में
दीवानगी की ऐसी मिलेगी कहाँ मिसाल
काँटे ख़रीदता हूँ गुलाबों के शहर में
आईने बोलते हैं तो ये भी बताएँगे
क्या बे-हिजाब हूँ मैं हिजाबों के शहर में
नाकामियों की आग में तपती हैं ख़्वाहिशें
जलती है मेरी रूह अज़ाबों के शहर में
इस अहद-ए-ना-शनास में इख़्लास की तलब
गौहर की जुस्तुजू है हबाबों के शहर में
हर मंज़र-ए-हसीं पे है इक चादर-ए-ग़ुबार
क्या मैं भटक रहा हूँ सराबों के शहर में
'अनवर' हमें तो आज भी फ़िक्र-ओ-निगाह के
बोसीदा घर मिले हैं निसाबों के शहर में
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