तय हो गया है मसअला जब इंतिसाब का
तय हो गया है मसअला जब इंतिसाब का
अब ये भी कोई काम है लिखना किताब का
खाया है सैर हो के ख़याली पोलाव आज
पानी फिर इस के ब'अद पिया है सराब का
देखी है एक फ़िल्म पुरानी तो यूँ लगा
जैसे कि कोई काम किया है सवाब का
शूगर न हो किसी भी मुसलमाँ को ऐ ख़ुदा
मुश्किल सा इक सवाल है ये भी हिसाब का
'अनवर' मिरी नज़र को ये किस की नज़र लगी
गोभी का फूल मुझ को लगे है गुलाब का
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