Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_88236a6d41cae2b6fc94313e2efbfac5, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
कब ज़िया-बार तिरा चेहरा-ए-ज़ेबा होगा - अनवर मसूद कविता - Darsaal

कब ज़िया-बार तिरा चेहरा-ए-ज़ेबा होगा

कब ज़िया-बार तिरा चेहरा-ए-ज़ेबा होगा

क्या जब आँखें न रहेंगी तो उजाला होगा

मश्ग़ला उस ने अजब सौंप दिया है यारो

उम्र भर सोचते रहिए कि वो कैसा होगा

जाने किस रंग से रूठेगी तबीअत उस की

जाने किस ढंग से अब उस को मनाना होगा

इस तरफ़ शहर उधर डूब रहा था सूरज

कौन सैलाब के मंज़र पे न रोया होगा

यही अंदाज़-ए-तिजारत है तो कल का ताजिर

बर्फ़ के बाट लिए धूप में बैठा होगा

देखना हाल ज़रा रेत की दीवारों का

जब चली तेज़ हवा एक तमाशा होगा

आस्तीनों की चमक ने हमें मारा 'अनवर'

हम तो ख़ंजर को भी समझे यद-ए-बैज़ा होगा

(2393) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Kab Ziya-bar Tera Chehra-e-zeba Hoga In Hindi By Famous Poet Anwar Masood. Kab Ziya-bar Tera Chehra-e-zeba Hoga is written by Anwar Masood. Complete Poem Kab Ziya-bar Tera Chehra-e-zeba Hoga in Hindi by Anwar Masood. Download free Kab Ziya-bar Tera Chehra-e-zeba Hoga Poem for Youth in PDF. Kab Ziya-bar Tera Chehra-e-zeba Hoga is a Poem on Inspiration for young students. Share Kab Ziya-bar Tera Chehra-e-zeba Hoga with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.