Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_1c5ee23f2ade9c48150430cb35790e3e, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
इस इब्तिदा की सलीक़े से इंतिहा करते - अनवर मसूद कविता - Darsaal

इस इब्तिदा की सलीक़े से इंतिहा करते

इस इब्तिदा की सलीक़े से इंतिहा करते

वो एक बार मिले थे तो फिर मिला करते

किवाड़ गरचे मुक़फ़्फ़ल थे उस हवेली के

मगर फ़क़ीर गुज़रते रहे सदा करते

हमें क़रीना-ए-रंजिश कहाँ मयस्सर है

हम अपने बस में जो होते तिरा गिला करते

तिरी जफ़ा का फ़लक से न तज़्किरा छेड़ा

हुनर की बात किसी कम-हुनर से क्या करते

तुझे नहीं है अभी फ़ुर्सत-ए-करम न सही

थके नहीं हैं मिरे हाथ भी दुआ करते

उन्हें शिकायत-ए-बे-रब्ती-ए-सुख़न थी मगर

झिजक रहा था मैं इज़हार-ए-मुद्दआ करते

चिक़ें गिरी थीं दरीचों पे चार सू 'अनवर'

नज़र झुका के न चलते तो और क्या करते

(4819) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Is Ibtida Ki Saliqe Se Intiha Karte In Hindi By Famous Poet Anwar Masood. Is Ibtida Ki Saliqe Se Intiha Karte is written by Anwar Masood. Complete Poem Is Ibtida Ki Saliqe Se Intiha Karte in Hindi by Anwar Masood. Download free Is Ibtida Ki Saliqe Se Intiha Karte Poem for Youth in PDF. Is Ibtida Ki Saliqe Se Intiha Karte is a Poem on Inspiration for young students. Share Is Ibtida Ki Saliqe Se Intiha Karte with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.