माहिर-ए-अमराज़-ए-चश्म
मैं उन से पूछा साहिब उस की क्या तदबीर करें
जिस की आँखों को लपका है दिल पर ज़ख़्म लगाने का
कहने लगे वो 'अनवर'-साहिब आप भी कितने भोले हैं
मेरे पास उठा लाए हैं केस ज़नाने थाने का
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मैं उन से पूछा साहिब उस की क्या तदबीर करें
जिस की आँखों को लपका है दिल पर ज़ख़्म लगाने का
कहने लगे वो 'अनवर'-साहिब आप भी कितने भोले हैं
मेरे पास उठा लाए हैं केस ज़नाने थाने का
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