जौहर ओ जवाहिर
अगर हैं तेग़ में जौहर जवाहर में ख़मीरे में
इधर ज़ोर-आज़माई है उधर ताक़त के नुस्ख़े हैं
मतब में और मैदान-ए-दग़ा में फ़र्क़ इतना है
वहाँ कुश्तों के पुश्ते हैं यहाँ पुश्तों के कुश्ते हैं
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अगर हैं तेग़ में जौहर जवाहर में ख़मीरे में
इधर ज़ोर-आज़माई है उधर ताक़त के नुस्ख़े हैं
मतब में और मैदान-ए-दग़ा में फ़र्क़ इतना है
वहाँ कुश्तों के पुश्ते हैं यहाँ पुश्तों के कुश्ते हैं
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